पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अतिथि अध्यापकों को
कड़ी फटकार लगाते हुए उनको राहत देने से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट ने याचिका
खारिज करते हुए उन्हें सिंगल बेंच में अपील करने की छूट दे दी।
हटाए गए
4073 सरप्लस अतिथि अध्यापकों ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ द्वि-सदस्यीय
पीठ के समक्ष अपील की थी। जस्टिस सूर्यकात की अध्यक्षता वाली द्वि-सदस्यीय
पीठ ने बृहस्पतिवार को इस पर सुनवाई की। अतिथि अध्यापको की तरफ से आधा दर्जन
वरिष्ठ वकील पैरवी के लिए आए। दो घंटे की सुनवाई में जस्टिस सूर्यकात की
पीठ ने अतिथि अध्यापकों पर कई बार कड़ी टिप्पणी की।
पीठ ने कहा कि अतिथि
अध्यापक कोर्ट के आदेशों का सम्मान करना सीखें। स्कूलों में ताले लगाने,
खाप पंचायतों की मदद व राजनितिक पार्टियों के समर्थन से वे गलतफहमी न पालें
कि कोर्ट किसी दबाव में आएगी। कोर्ट स्कूलों में पढ़ाई सुचारू रूप से जारी
रखने के लिए हर तरह का आदेश देने में सक्षम है। लेकिन स्कूलों में
तालाबंदी जैसी हरकत सहन नहीं करेगी।
पीठ ने कहा कि नियमित भर्ती तक अतिथि
अध्यापकों को सेवा में रखने की दलील अब सब समझ चुके हैं और ये दलील पुरानी
पड़ चुकी है तथा 2006 से 2015 तक बहुत बार प्रयोग हो चुकी है। पीठ ने पूछा,
किस आधार पर रोक चाहते हो। जब यह साबित हो चुका है कि नियुक्ति पिछले
दरवाजे से हुई है और सरकार हलफनामा दे चुकी है कि ये अतिथि अध्यापक सरपल्स
हैं।