पंजाब
एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अतिथि अध्यापकों के प्रति सरकार के नरम रवैये पर
सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि दो सप्ताह के भीतर 4073
सरप्लस टीचर को हटा कर रिपोर्ट दायर करें।
सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने आदेश के बावजूद इन गेस्ट टीचर को नहीं हटाने पर कोर्ट रूम में मौजूद मुख्य सचिव डीएस ढेसी व स्कूल विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता को फटकार लगाते हुए अवमानना के तहत कार्रवाई करने का संकेत दे दिया। बाद में दोनों अफसरों द्वारा माफी मांगने पर पीठ नरम पड़ी और निर्देश दिया कि सरकार पब्लिकेशन के तहत नोटिस जारी कर दो सप्ताह में इनकी सेवा समाप्त करे।
बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील जसबीर मोर ने पीठ को बताया कि ये टीचर सरप्लस नहीं हैं क्योंकि ये अब भी जमा दो क्लास तक पढ़ा रहे हैं। पीजीटी टीचर की नियुक्ति के बाद ही इन्हें सरप्लस माना जाए। सरकार ने भी याचिकाकर्ता के वकील की इस बात पर सहमति दी। इस पर पीठ ने सवाल उठाया कि बीएड टीचर अगर जमा दो तक पढ़ाएं तो पढ़ाई का क्या स्तर रह जाएगा। सरकार अब अपनी बात से बदल रही है कि ये टीचर सरप्लस नहीं हैं जबकि पहले सरकार ने खुद हलफनामा देकर इनको सरप्लस बताया था। ऐसे में अब सरकार को इन टीचर को हटाना ही पड़ेगा। सुनवाई के दौरान सरकार ने नए पीजीटी भर्ती का कार्यक्रम की कोर्ट को जानकारी दी।
पीठ को बताया गया कि एक महीने के भीतर भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा।
एडवोकेट जगबीर मलिक ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गंभीरता से नहीं ले रही और आदेशों की पालना नहीं कर रही। हर महीने सरकार इन सरप्लस टीचर पर लगभग 9 करोड़ रुपये वेतन के नाम पर खर्च कर रही है जबकि इनका कोई काम नहीं है। मलिक ने आरोप लगाया कि राज्य में 15 हजार गेस्ट टीचर कार्यरत हैं। इनको रखने के लिए सरकार नियमित टीचरों की नियुक्ति नहीं कर रही। सरकार की यही कोशिश रहती है कि गेस्ट टीचर को कैसे बचाया जाए।
सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने आदेश के बावजूद इन गेस्ट टीचर को नहीं हटाने पर कोर्ट रूम में मौजूद मुख्य सचिव डीएस ढेसी व स्कूल विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता को फटकार लगाते हुए अवमानना के तहत कार्रवाई करने का संकेत दे दिया। बाद में दोनों अफसरों द्वारा माफी मांगने पर पीठ नरम पड़ी और निर्देश दिया कि सरकार पब्लिकेशन के तहत नोटिस जारी कर दो सप्ताह में इनकी सेवा समाप्त करे।
बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील जसबीर मोर ने पीठ को बताया कि ये टीचर सरप्लस नहीं हैं क्योंकि ये अब भी जमा दो क्लास तक पढ़ा रहे हैं। पीजीटी टीचर की नियुक्ति के बाद ही इन्हें सरप्लस माना जाए। सरकार ने भी याचिकाकर्ता के वकील की इस बात पर सहमति दी। इस पर पीठ ने सवाल उठाया कि बीएड टीचर अगर जमा दो तक पढ़ाएं तो पढ़ाई का क्या स्तर रह जाएगा। सरकार अब अपनी बात से बदल रही है कि ये टीचर सरप्लस नहीं हैं जबकि पहले सरकार ने खुद हलफनामा देकर इनको सरप्लस बताया था। ऐसे में अब सरकार को इन टीचर को हटाना ही पड़ेगा। सुनवाई के दौरान सरकार ने नए पीजीटी भर्ती का कार्यक्रम की कोर्ट को जानकारी दी।
पीठ को बताया गया कि एक महीने के भीतर भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा।
एडवोकेट जगबीर मलिक ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गंभीरता से नहीं ले रही और आदेशों की पालना नहीं कर रही। हर महीने सरकार इन सरप्लस टीचर पर लगभग 9 करोड़ रुपये वेतन के नाम पर खर्च कर रही है जबकि इनका कोई काम नहीं है। मलिक ने आरोप लगाया कि राज्य में 15 हजार गेस्ट टीचर कार्यरत हैं। इनको रखने के लिए सरकार नियमित टीचरों की नियुक्ति नहीं कर रही। सरकार की यही कोशिश रहती है कि गेस्ट टीचर को कैसे बचाया जाए।
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