पिछले साल चयनित 9455 जेबीटी शिक्षकों की नियुक्ति
मामले में सरकार ने धांधली से इन्कार किया है। सोमवार को कर्मचारी चयन आयोग
के सचिव महावीर कौशिक व टीचर सेलेक्शन बोर्ड की प्रोग्रामर रही सविता ने
हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि अंक देने में कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ।
इस जवाब से चयनित शिक्षकों को बड़ी राहत मिल सकती है। मंगलवार को कोर्ट इस
मामले में फैसला सुना सकती है।
पहले टीचर सेलेक्शन बोर्ड व अब स्टाफ सेलेक्शन कमीशन में ठेके पर कार्यरत सविता ने हलफनामे में कहा है कि फाइनल रिजल्ट तैयार करते समय चूकवश एमए पास उम्मीदवारों के दो अंक साक्षात्कार में जोड़े नहीं गए थे। बाद में गलती सामने आने के बाद इसे ठीक कर दिया गया, जबकि कुल अंक में कोई गलती नहीं थी। इसी के आधार पर मेरिट बनाकर रिजल्ट वेबसाइट पर लोड कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी चूक थी और इसमें किसी का कोई दबाव नहीं था।
कर्मचारी चयन आयोग के सचिव महावीर कौशिक ने हाईकोर्ट को बताया कि यह भर्ती टीचर सेलेक्शन बोर्ड ने की थी। उसे भंग करने के बाद उसका रिकॉर्ड कर्मचारी चयन आयोग के पास आ गया है। इस भर्ती का परिणाम गुप्त ब्रांच की कंप्यूटर सिस्टम शाखा ने तैयार किया था। परिणाम वेबसाइट पर डालने के बाद जब बोर्ड को पता चला कि एमए पास उम्मीदवारों के जो अतिरिक्त 2 अंक साक्षात्कार में दिए जाने थे, तकनीकी गलती के कारण अकादमिक में जोड़ दिए गए जबकि टोटल सही था। इस तरह किसी को कम अंक नहीं दिए गए। बोर्ड ने भर्ती की पूरी जानकारी देते हुए कहा कि वह अलग-अलग कमेटियों की रिपोर्ट, मेरिट वाइज नियुक्ति की सिफारिश, रिजल्ट लिस्ट, मेरिट लिस्ट, उपस्थिति तालिका इत्यादि कोर्ट में पेश कर सकते हैं।
गौरतलब है कि एक स्नातकोत्तर (एमए) योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि चयन प्रक्रिया के दौरान उसे शैक्षणिक योग्यता के दो अंक अधिक मिलने थे। शैक्षणिक योग्यता में इसका लाभ दे दिया गया, लेकिन इंटरव्यू में हासिल अंकों में से उसके दो अंक काट लिए गए। ऐसे में वह चयन से वंचित रह गया। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मागते हुए भर्ती का रिजल्ट, हार्ड डिस्क व पांच कंप्यूटर को सील कर दिया था। हाईकोर्ट ने नियुक्ति पत्र जारी करने पर भी रोक लगा रखी है। मामले में सरकार की ओर से कहा गया था कि डाटा एकत्र करते समय अंकों में फेरबदल हुआ, लेकिन सभी अभ्यर्थियों को अंक पूरे दिए गए।
पहले टीचर सेलेक्शन बोर्ड व अब स्टाफ सेलेक्शन कमीशन में ठेके पर कार्यरत सविता ने हलफनामे में कहा है कि फाइनल रिजल्ट तैयार करते समय चूकवश एमए पास उम्मीदवारों के दो अंक साक्षात्कार में जोड़े नहीं गए थे। बाद में गलती सामने आने के बाद इसे ठीक कर दिया गया, जबकि कुल अंक में कोई गलती नहीं थी। इसी के आधार पर मेरिट बनाकर रिजल्ट वेबसाइट पर लोड कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी चूक थी और इसमें किसी का कोई दबाव नहीं था।
कर्मचारी चयन आयोग के सचिव महावीर कौशिक ने हाईकोर्ट को बताया कि यह भर्ती टीचर सेलेक्शन बोर्ड ने की थी। उसे भंग करने के बाद उसका रिकॉर्ड कर्मचारी चयन आयोग के पास आ गया है। इस भर्ती का परिणाम गुप्त ब्रांच की कंप्यूटर सिस्टम शाखा ने तैयार किया था। परिणाम वेबसाइट पर डालने के बाद जब बोर्ड को पता चला कि एमए पास उम्मीदवारों के जो अतिरिक्त 2 अंक साक्षात्कार में दिए जाने थे, तकनीकी गलती के कारण अकादमिक में जोड़ दिए गए जबकि टोटल सही था। इस तरह किसी को कम अंक नहीं दिए गए। बोर्ड ने भर्ती की पूरी जानकारी देते हुए कहा कि वह अलग-अलग कमेटियों की रिपोर्ट, मेरिट वाइज नियुक्ति की सिफारिश, रिजल्ट लिस्ट, मेरिट लिस्ट, उपस्थिति तालिका इत्यादि कोर्ट में पेश कर सकते हैं।
गौरतलब है कि एक स्नातकोत्तर (एमए) योग्यता प्राप्त अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि चयन प्रक्रिया के दौरान उसे शैक्षणिक योग्यता के दो अंक अधिक मिलने थे। शैक्षणिक योग्यता में इसका लाभ दे दिया गया, लेकिन इंटरव्यू में हासिल अंकों में से उसके दो अंक काट लिए गए। ऐसे में वह चयन से वंचित रह गया। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मागते हुए भर्ती का रिजल्ट, हार्ड डिस्क व पांच कंप्यूटर को सील कर दिया था। हाईकोर्ट ने नियुक्ति पत्र जारी करने पर भी रोक लगा रखी है। मामले में सरकार की ओर से कहा गया था कि डाटा एकत्र करते समय अंकों में फेरबदल हुआ, लेकिन सभी अभ्यर्थियों को अंक पूरे दिए गए।
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