हाई कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति
(एससी) वर्ग को प्रोन्नति में 20 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक लगा दी है।
साथ ही हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
बुधवार को मामले
की सुनवाई के दौरान याची दिनेश कुमार व अन्य की ओर से कहा गया कि गलत तरीके
से प्रमोशन में एससी वर्ग को आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है। हरियाणा
सरकार ने 14 फरवरी 2013 को वरिष्ठ आइएएस अधिकारी पी राघेवंद्र की कमेटी का
गठन कर प्रदेश में एससी के पिछड़ेपन और उनके प्रतिनिधित्व के बारे में
रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि
एससी अब भी पिछड़े हुए हैं। इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए प्रदेश सरकार ने
गत 15 मई को नोटिफिकेशन जारी कर एससी वर्ग के लिए प्रमोशन में 20 प्रतिशत
आरक्षण का प्रावधान कर दिया। इस प्रावधान के तहत उन्हें 1 अप्रैल 2013 से
इसका लाभ दिया जाना है।
याची के वकील नरेंद्र हुडा ने बताया कि कमेटी ने
सही आंकड़े एकत्रित नहीं किए। नियुक्तियों में पहले ही 22 प्रतिशत आरक्षण
है और पदोन्नति में 20 प्रतिशत आरक्षण देने से यह 42 प्रतिशत से ज्यादा हो
जाएगा। इसके अलावा 27 प्रतिशत ओबीसी के लिए आरक्षण है। ऐसे में जनरल वर्ग
के साथ यह अन्याय है। हुडा ने बेंच को बताया कि देश के अधिकतर हाई कोर्ट इस
तरह की नीति को रद कर चुके हैं।
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