राज्य
के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे 15 हजार ‘अतिथि अध्यापकों’ की सेवाएं
समाप्त होने जा रही हैं। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार फरवरी के
पहले सप्ताह में इन शिक्षकों के लिए निर्धारित की गई समयावधि समाप्त होने
जा रही है, जिसके बाद में इसे किसी भी सूरत में बढ़ाया नहीं जा सकता। राज्य
सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का पालन
करने की बात दोहरा चुके हैं। दूसरी ओर राज्य के ‘अतिथि अध्यापकों’ द्वारा
एक बार फिर से कई जिलों में आंदोलन का बिगुल बजा दिया गया है।
सुप्रीम
कोर्ट के निर्देशानुसार अब राज्य के अतिथि अध्यापक 6 फरवरी 2013 तक ही
काम कर सकते हैं। इसके बाद में काम करने का अर्थ सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट
के आदेशों की अवहेलना वाली बात होगी। गेस्ट टीचरों को लेकर पंजाब एवं
हरियाणा हाईकोर्ट ने भी 25 मार्च 2012 को आर्डर पास किया था। जिसमें इन्हें
हटाए जाने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद में इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट
में चुनौती देने के बाद में गेस्ट टीचरों को राहत मिल गई थी। राज्य सरकार
को सुप्रीम कोर्ट से 322 दिन का समय प्रदान किया गया था, साथ ही सरकार के
अफसरों ने खंडपीठ को बताया था कि राज्य में 35 हजार पोस्ट खाली हैं। गेस्ट
टीचर हटने से समस्या होगी, इसीलिए राहत मिली थी, साथ ही 322 दिनों के बाद
में किसी तरह की सेवा विस्तार नहीं मिलेगा यह बात भी तय हो गई थी। 14 हजार
सात सौ के लगभग गेस्ट टीचरों की भर्ती को भी हाईकोर्ट ने पूरी तरह
नियमविरुद्ध माना था।
मिली
थी राहत : मार्च के अंतिम सप्ताह (2012) में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा
में आंदोलनरत 15 हजार गेस्ट टीचरों को बड़ी राहत दी थी, शिक्षा विभाग में
नियमित नियुक्तियां होने तक इन्हें शिक्षण कार्य जारी रखने की अनुमति दी गई
थी। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को समय रहते अपनी भर्ती नीति के तहत नई
नियुक्तियां करने को कहा है। न्यायाधीश अल्तमस कबीर और एसएस निज्जर की
खंडपीठ ने शुक्रवार को गेस्ट टीचरों औरराज्य सरकार द्वारा इस मामले में
दायर की गई दो अलग-अलग विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये
निर्देश दिए।
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