Friday, August 26, 2016

सर्टिफिकेट पुराना होने से आरक्षण नहीं छीना जा सकता : हाईकोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेने का अधिकारी है जब तक उसकी जाति को सूची से बाहर नहीं कर दिया जाता। केवल सर्टिफिकेट पुराना होने से आरक्षण का लाभ नहीं छीना जा सकता है।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की सीनियर लैब अटेंडेंट के तौर पर नियुक्ति को जायज करार देते हुए पंजाब सरकार की अपील खारिज कर दी।
मामले में लेटर पेटेंट अपील (एलपीए) दाखिल करते हुए पंजाब सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी थी। डिवीजन बेंच में एलपीए पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने जस्टिस सूर्यकात व जस्टिस सुदीप आहलूवालिया की खंडपीठ के सामने दलील दी कि पंजाब सरकार ने बैकवर्ड क्लास सर्टिफिकेट के लिए नया फॉर्मेट 2009 में जारी किया था और याचिकाकर्ता ने 1994 का सर्टिफिकेट पेश किया था जोकि सही नहीं है।
खंडपीठ ने टिप्पणी की कि जब तक किसी जाति को पिछड़ी जाति से बाहर घोषित नहीं किया जाता वो पिछड़ी जाति के रूप में आरक्षण प्राप्त करने का अधिकारी है। मामले में 1994 में बना बीसी सर्टिफिकेट पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग ने मानने से इन्कार कर दिया। इसी बीच 2010 में याचिकाकर्ता ने 2009 के फार्मेट के अनुसार सर्टिफिकेट भी बनवा लिया। ऐसे में यह स्पष्ट है कि यह वर्ग सूची के बाहर नहीं है। 2010 का सर्टिफिकेट सौंपने पर पंजाब सरकार ने यह दलील दी कि यह कट ऑफ के बाद सौंपा गया है जोकि सही नहीं है। इस मामले में 2010 का सर्टिफिकेट मात्र 1994 के सर्टिफिकेट की वैधता बताने के लिए था। ऐसे में पंजाब सरकार का याचिकाकर्ता को नौकरी का लाभ न देने का फैसला गलत था और सिंगल बेंच ने नौकरी का लाभ देने के आदेश सही दिए हैं। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की याचिका खारिज करते हुए सिंगल बेंच के फैसले पर मुहर लगा दी।

-D.Jagran, Dtd. 26.08.2016

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