● एनसीटीई के नियमों को लेकर केन्द्र और विधि विभाग की राय जानने में जुटे अफसर
● जल्दी भर्ती होने की संभावना कम
भरतसिंह, पंचायतीराज मंत्री
राज्य में होने वाली 50,000 शिक्षकों की भर्ती कानूनी पेचों में उलझ गई है। नतीजतन भर्ती जल्दी होने की संभावना खत्म सी हो गई है। एनसीटीई की ओर से तय नियमों को लेकर विभाग के अफसर विधि विभाग की राय जानने के साथ केंद्र से भी मार्गदर्शन लेने में जुटे हुए हैं।
क्यों अटक रही है भर्ती
पहले विधवा और परित्यक्ताओं का कोटा तय करने के संबंध में कार्मिक विभाग की ओर से अधिसूचना जारी करने में देरी हुई। इसके बाद एनसीटीई के टेट (टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट) संबंधी नियमों की व्याख्या ठीक से नहीं कर पाने के कारण फाइलें बार-बार विधि विभाग और उच्च अफसरों के बीच घूम रही है।
पहले विधवा और परित्यक्ताओं का कोटा तय करने के संबंध में कार्मिक विभाग की ओर से अधिसूचना जारी करने में देरी हुई। इसके बाद एनसीटीई के टेट (टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट) संबंधी नियमों की व्याख्या ठीक से नहीं कर पाने के कारण फाइलें बार-बार विधि विभाग और उच्च अफसरों के बीच घूम रही है।
विभाग के अफसरों ने हालांकि एनसीटीई के प्रावधान के आधार पर भर्ती के लिए टेट की परीक्षा अनिवार्य माना और इसके लिए इस मुद्दे को मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री तक से अनुमोदन भी करा दिया, लेकिन सवाल फिर यही उठता है कि अगर टेट की व्यवस्था लागू की जाती है तो इसके लिए न तो नियम बने हैं और न ही किसी संस्था या संगठन को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में कब तो टेट होगा और कब भर्ती हो पाएगी।
नियमों में ही दी है छूट
राइट टु एजुकेशन एक्ट, 2009 की धारा 23 (2) में कहा गया है कि अगर किसी राज्य में तय पाठ्यक्रम या शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए कोई संस्था या व्यवस्था नहीं है, या निर्धारित न्यूनतम योग्यता नहीं रखती है तो ऐसे में केंद्र सरकार नियमों में पांच साल की छूट दे सकती है। इसी प्रकार इस एक्ट की धारा 6 में भी तय मानदंडों के अनुसार स्कूल नहीं खुले हों तो उसके लिए अधिसूचना जारी होने के तीन साल तक छूट ली जा सकती है।
राइट टु एजुकेशन एक्ट, 2009 की धारा 23 (2) में कहा गया है कि अगर किसी राज्य में तय पाठ्यक्रम या शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए कोई संस्था या व्यवस्था नहीं है, या निर्धारित न्यूनतम योग्यता नहीं रखती है तो ऐसे में केंद्र सरकार नियमों में पांच साल की छूट दे सकती है। इसी प्रकार इस एक्ट की धारा 6 में भी तय मानदंडों के अनुसार स्कूल नहीं खुले हों तो उसके लिए अधिसूचना जारी होने के तीन साल तक छूट ली जा सकती है।
क्या है एनसीटीई के प्रावधान
एनसीटीई की ओर से 23 अगस्त, 2010 को जारी अधिसूचना में कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों और छठी से आठवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए अलग-अलग योग्यता तय की है। दोनों तरह के अध्यापकों के लिए टेट की परीक्षा की अनिवार्यता बताई है। साथ ही इस अधिसूचना में विशेष अनिवार्य प्रशिक्षक का प्रावधान भी किया। जिनके पास न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बीए, बीएससी और बीएड योग्यता है, कक्षा एक से पांचवीं में 1 जनवरी, 2012 तक पात्र होगा, बशर्ते कि वह नियुक्तिके छह माह में छह माह का प्रशिक्षण ले लें।
एनसीटीई की ओर से 23 अगस्त, 2010 को जारी अधिसूचना में कक्षा एक से पांचवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों और छठी से आठवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए अलग-अलग योग्यता तय की है। दोनों तरह के अध्यापकों के लिए टेट की परीक्षा की अनिवार्यता बताई है। साथ ही इस अधिसूचना में विशेष अनिवार्य प्रशिक्षक का प्रावधान भी किया। जिनके पास न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बीए, बीएससी और बीएड योग्यता है, कक्षा एक से पांचवीं में 1 जनवरी, 2012 तक पात्र होगा, बशर्ते कि वह नियुक्तिके छह माह में छह माह का प्रशिक्षण ले लें।
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