हरियाणा प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेमेस्टर प्रणाली खत्म करने का प्रस्ताव है।
सरकारी स्कूलों में अब सीबीएसई बोर्ड की तरह परीक्षाएं हुआ करेंगी। हरियाणा
विद्यालय शिक्षा बोर्ड के इस प्रस्ताव पर अधिकतर निदेशक मंडल सहमत है,
लेकिन इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय निदेशक मंडल की अगली बैठक में होगा। तब
तक शिक्षा मंत्री से भी वार्ता कर ली जाएगी।
प्रदेश में आठवीं तक बोर्ड पहले ही खत्म किया जा चुका है। अब दसवीं व
बारहवीं की परीक्षाओं में सेमेस्टर प्रणाली खत्म करने पर गंभीरता से मनन चल
रहा है। मंगलवार को चंडीगढ़ में हुई हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी
के निदेशक मंडल की बैठक में सेमेस्टर प्रणाली खत्म करने के फायदे व नुकसान
पर काफी देर तक मंथन किया गया।
शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन की अध्यक्षता में
हुई बैठक में प्रस्ताव लाया गया कि सेमेस्टर प्रणाली से आर्थिक नुकसान तो
हो ही रहा है, साथ ही पढ़ाई के लिहाज से समय भी बर्बाद हो रहा है। प्रस्ताव
आया कि क्यों न दसवीं व बारहवीं की परीक्षाओं में सरकारी स्कूलों में
सीबीएसई की तर्ज पर परीक्षा पद्धति लागू कर दी जाए। सीबीएसई स्कूलों में
पहले सेमेस्टर में 40 प्रतिशत मार्किग स्कूल स्तर पर होती है जबकि दूसरे
सेमेस्टर में 60 प्रतिशत मार्किग बोर्ड स्तर पर होती है। यहां भी आप्शन
दिया गया है। यह स्कूल के ऊपर निर्भर है कि दूसरे सेमेस्टर की 60 अंकों की
मार्किग स्कूल स्तर पर कराई जाए या फिर बोर्ड के स्तर पर यह मार्किग कराई
जाए। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेमेस्टर प्रणाली के खत्म होने के बाद
सीबीएसई पद्धति लागू होने से करीब 50 दिन की पढ़ाई का फायदा होने का अनुमान
है। साथ ही उत्तर पुस्तिकाओं की जांच पर खर्च होने वाले करीब एक करोड़
रुपये सालाना की बचत भी हो सकती है।
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