हाईकोर्ट
ने आरटेट के फर्स्ट लेवल में उत्तीर्ण बीएड धारकों को थर्ड ग्रेड टीचर
भर्ती के फस्र्ट लेवल के योग्य नहीं माना है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश एमएन
भंडारी ने राजेश कुमार मीणा व अन्य की करीब एक हजार याचिकाओं को निस्तारित
करते हुए कहा कि प्रार्थियों ने एनसीटीई की अधिसूचना को चुनौती नहीं दी है।
कोर्ट
ने कहा कि ऐसे में जो भी प्रार्थी अभ्यर्थी एक जनवरी 2012 के बाद वांछित
योग्यता नहीं रखते हैं। उसे परीक्षा के योग्य नहीं माना जा सकता। क्योंकि
ये एक जनवरी 2012 तक ही नियुक्ति के लिए योग्य थे। कोर्ट ने कहा कि विशेष
तौर पर उस स्थिति में जब न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में शिथिलता का अधिकार
दो परिस्थितियों में दिया जाता है- या तो योग्यताधारी अभ्यर्थी विज्ञप्ति
में दिए गए पदों से कम हों या कोर्स कराने वाले संस्थान नहीं हो।
लेकिन यहां पर दोनों ही परिस्थितियां नहीं हैं। ऐसे में प्रार्थियों को
नियमों में शिथिलता नहीं दी जा सकती। क्योंकि राज्य ने एनसीटीई से छूट का
निवेदन किया था। लेकिन एनसीटीई ने मना कर दिया था। अदालत ने प्रार्थियों को
छूट दी कि वे अधिसूचना व भर्ती नियमों को खंडपीठ में चुनौती दे सकते हैं।
गौरतलब है कि पूर्व में प्रार्थियों को अस्थाई तौर पर थर्डग्रेड
भर्ती परीक्षा में शामिल करने का निर्देश दिया था। प्रार्थियों का कहना था
कि वे ग्रेजुएट व बीएड धारक हैं और आरटेट के लेवल प्रथम में उत्तीर्ण है।
लेकिन उन्हें थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती परीक्षा 2012 के लिए योग्य नहीं माना
है। बीएसटीसी अभ्यर्थियों को ही परीक्षा के लेवल प्रथम के योग्य माना है।
प्रार्थियों ने कहा कि टीचर भर्ती परीक्षा में उन्हें शामिल नहीं
करना कानूनी रूप से गलत है। क्योंकि एनसीटीई के नियमानुसार वे पहली से
पांचवीं कक्षाओं को पढ़ाने के लिए योग्य हैं, लिहाजा उन्हें परीक्षा में
शामिल करवाया जाए ।
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