त्रिपुरा हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार द्वारा भर्ती किए गए 10 हजार 323 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। साथ ही दिसंबर 2014 तक नई भर्ती प्रक्रिया से इन पदों को भरने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति स्वप्न चंद्र दास की पीठ ने उक्त आदेश उन 152 लोगों की 58 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। ये लोग नौकरी पाने में नाकाम रहे थे। त्रिपुरा की वामपंथी सरकार ने गत तीन वर्षो के दौरान इन शिक्षकों की भर्ती की थी। हाईकोर्ट के इस फैसले पर अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। फैसले का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और त्रिपुरा प्रगतिशील ग्रामीण कांग्रेस ने स्वागत किया है।
पीठ ने अपने छह सौ पन्नों के फैसले में कहा, नई नियुक्तियों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सभी शिक्षकों की नियुक्तियां रद की जा रही हैं। हाईकोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दिशा-निर्देश भी तय किए, जिन्हें दो महीने के भीतर अधिसूचित किया जाएगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत देते हुए कहा, शिक्षकों की भर्ती में किसी भी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे छात्रों का भविष्य खराब जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति स्वप्न चंद्र दास की पीठ ने उक्त आदेश उन 152 लोगों की 58 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। ये लोग नौकरी पाने में नाकाम रहे थे। त्रिपुरा की वामपंथी सरकार ने गत तीन वर्षो के दौरान इन शिक्षकों की भर्ती की थी। हाईकोर्ट के इस फैसले पर अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। फैसले का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और त्रिपुरा प्रगतिशील ग्रामीण कांग्रेस ने स्वागत किया है।
पीठ ने अपने छह सौ पन्नों के फैसले में कहा, नई नियुक्तियों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सभी शिक्षकों की नियुक्तियां रद की जा रही हैं। हाईकोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दिशा-निर्देश भी तय किए, जिन्हें दो महीने के भीतर अधिसूचित किया जाएगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत देते हुए कहा, शिक्षकों की भर्ती में किसी भी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे छात्रों का भविष्य खराब जाएगा।
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