Tuesday, December 25, 2012

सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षा से शुरू होगी पढ़ाई

बच्चों की शैक्षिक बुनियाद मजबूत करने के लिए सरकारी प्राइमरी स्कूलों की पढ़ाई कक्षा-एक से भी पहले शुरू हो सकती है। अलबत्ता, इसमें थोड़ा समय लगेगा, लेकिन सरकार ने इसका मसौदा तैयार कर लिया है। मंशा, सरकारी प्राइमरी स्कूलों की पढ़ाई प्री-प्राइमरी कक्षा से शुरू करने की है। सरकार के इस मसौदे पर राष्ट्रीय विकास परिषद की मुहर लगते ही आने वाले वर्षो में इस पर अमल शुरू हो जाएगा। योजना के तहत हर प्राइमरी स्कूल में एक प्री-प्राइमरी सेक्शन खोला जाना है। जहां चार से छह साल तक के बच्चों को उनकी रुचि और उत्सुकता के लिहाज से कम से कम एक साल तक मूल पढ़ाई से अलग रखकर सिखाया-पढ़ाया जाएगा। उसके बाद प्राइमरी की पढ़ाई शुरू होगी।कोशिश होगी कि 12 वीं योजना के अंत (2017) तक देश के कम से कम 50 प्रतिशत प्राइमरी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू हो जाएं। इस मामले में शैक्षिक रूप से पिछड़े राज्यों, जिलों, ब्लाकों को प्राथमिकता दी जाएगी। वैसे तो प्राइमरी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाओं को शुरू करने की पहल को सर्वशिक्षा अभियान (शिक्षा का अधिकार कानून) का एक हिस्सा मानते हुए उसके लिए बजट में ही अलग से प्रावधान की योजना है। जबकि, सूत्रों का कहना है कि इस पहल को अमली जामा पहनाने में बजट बड़ी समस्या है। यदि इसे 12वीं योजना (2012 से 2017) में ही अमल करना हो तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय को 65 हजार करोड़ रुपये की दरकार होगी। अलबत्ता, इसे अगली (13वीं) योजना तक पूरा करने में संभावित 65 हजार करोड़ से कम में भी इसकी शुरुआत हो सकती है। बताते हैं कि योजना आयोग तो इस पहल को 11वीं योजना में ही शुरू करने का पक्षधर था, लेकिन यह तब नहीं हो सका। इस बार भी योजना आयोग के एजेंडे में यह प्रमुखता से शामिल है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय अपनी जरूरतों से आयोग को अवगत करा चुका है। अगली पंचवर्षीय योजना के मसौदे की मंजूरी के लिए 27 दिसंबर को राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक होने जा रही है। परिषद ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी तो योजना पर अमल होना ही है।

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