Saturday, January 29, 2011

एक जैसे होंगे बोर्ड व स्कूल के प्रश्न के पैटर्न


           दसवीं में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा और स्कूल की परीक्षा में न तो कोई अंतर रहेगा और न ही उनके प्रश्नों के पैटर्न में कोई बदलाव नजर आएगा। दसवीं में स्कूल में परीक्षा का विकल्प चुनने वाले छात्रों के लिए प्रश्न बोर्ड ने ही तैयार किए हैं और सभी विषयों की सीडी बनाकर स्कूलों को भेजी जाएगी। दोनों ही स्थितियों में सर्टिफिकेट सीबीएसई बोर्ड द्वारा ही प्रदान किए जाएंगे।      राजधानी के डीएवी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल वंदना कपूर का कहना है कि दसवीं की बोर्ड परीक्षा और स्कूल की परीक्षा में कोई अंतर नहीं है। पैटर्न वही रहेगा। बोर्ड ने प्रश्नों का पैटर्न स्कूलों को भेज दिया और स्कूल की परीक्षा के लिए स्कूल द्वारा प्रश्न पत्र तैयार किए जाएंगे। सर्टिफिकेट भी स्कूल से जाएगा और बोर्ड द्वारा तैयार होकर बच्चों को दिया जाएगा। बस यह तो छात्रों से तनाव कम करने और स्कूलों को जिम्मेदार बनाने की कोशिश है, जो बेहद अच्छी है। दरअसल अभी तक किसी राज्य और बोर्ड ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा को छात्रों के सामने विकल्प के तौर पर प्रस्तुत नहीं किया है। पहली बार सीबीएसई ने दसवीं को वैकल्पिक बनाया है। बोर्ड की इस कवायद के पीछे वैसे तो कई नेक इरादे हैं। लेकिन दो चीजें ऐसी हैं, जिनकी जरूरत वर्षो से महसूस की जा रही थी। एक दसवीं के छात्रों में बोर्ड परीक्षा का तनाव कम करना और दूसरा स्कूलों को और अधिक जिम्मेदार बनाना शामिल है। यह व्यवस्था कक्षा एक से दस तक लागू सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) के तहत लागू की गई है। इस बार देश भर में दसवीं के कुल छात्रों की संख्या 10 लाख 3 हजार है। जिसमें सिर्फ 4 लाख 66 हजार 774 बच्चों ने दसवीं बोर्ड परीक्षा का विकल्प चुना है और शेष 5 लाख 36 हजार 226 बच्चों ने स्कूल की परीक्षा का चुनाव किया है। जबकि बीते साल 9 लाख 2 हजार बच्चों ने देश भर से दसवीं की बोर्ड की परीक्षा दी थी।
  Published in D.Jagran(Panipat Edition), 30Jan.2011

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