निजी स्कूल अब मनमानी कर ज्यादा फीस नहीं वसूल सकेंगे। इसको लेकर शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों पर शिकंजा कस दिया है। इसके लिए सभी निजी स्कूल प्रशासन से स्कूल की फीस के साथ-साथ अन्य मदों में लिए जाने वाले शुल्क की जानकारी मांगी है। यह जानकारी 31 अक्तूबर तक ऑनलाइन उपलब्ध करानी है।
निजी स्कूल प्रतिवर्ष बिना किसी सूचना के 25 से 50 फीसदी ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी कर देते हैं। ट्यूशन फीस के अलावा अन्य मदों में भी बढ़ोतरी की जाती है, जिसके विरोध में 2009 से लेकर आज तक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर निदेशालय के अधिकारियों तक शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। अब इन शिकायतों पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाने व समस्या के स्थायी निदान की रणनीति अधिकारियों की ओर से तैयार की गई है।
निदेशालय ने शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निजी स्कूलों पर शिकंजा कस दिया है। इसके तहत निजी स्कूल प्रशासन से प्रतिवर्ष ट्यूशन फीस व अन्य मदों में लिए जाने वाले शुल्क का ब्योरा मांगा है। फीस बढ़ाने के कारणों की जानकारी भी देनी होगी। इसके निर्देश जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के पास आ चुके हैं। इसके लिए निजी स्कूलों को 31 अक्तूबर तक का समय दिया गया है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी जगवीर सिंह मलिक का कहना है कि निजी स्कूलों को यह रिपोर्ट हर हाल में ऑनलाइन निदेशालय को उपलब्ध करानी है। अगर इस मामले पर निजी स्कूल गंभीर नहीं हुए, तो गैर-सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों की 31 अक्तूबर के बाद एनओसी रद्द कर दी जाएगी। उल्लेखनीय हैकि अभी निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं।
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