हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को पद
से हटाने तथा स्कूल शिक्षक भर्ती बोर्ड भंग होने के बाद करीब 20 हजार
भर्तियों की प्रक्रिया अधर में लटक गई हैं। मंत्रियों के कॉलोजियम गठित
होने के बाद ही कर्मचारी चयन आयोग के नए अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां
संभव है। इन नियुक्तियों के अभाव में न तो लंबित परीक्षा परिषणा घोषित हो
पाएंगे और न ही भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। प्रदेश सरकार ने हुड्डा
सरकार के कार्यकाल में बने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष और
सदस्यों को हटा दिया है।
शिक्षकों की भर्ती के लिए गठित हरियाणा स्कूल
शिक्षक भर्ती बोर्ड को भी भंग कर दिया है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 32
अलग-अलग वर्गो में करीब चार हजार इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी कर रखी थी,
जिसे घोषित नहीं किया जा रहा है। नए अध्यक्ष और सदस्य इन इंटरव्यू को घोषित
करते हैं या फिर रद करते हैं, इस पर आवेदकों की निगाह टिकी है। कर्मचारी
चयन आयोग में नौ हजार कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया भी चल रही थी। करीब
पौने सात हजार लिपिक लगाए जाने थे, जिनके फार्म भरे जा चुके हैं। उनकी
परीक्षा और इंटरव्यू का कार्यक्रम जारी होना बाकी था। सभी नौ हजार भर्तियों
की प्रक्रिया भी दोबारा शुरू होने की संभावना है। यह भी संभव है कि राज्य
सरकार इन रिक्तियों को रद कर नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करे। स्कूल शिक्षक
भर्ती बोर्ड में करीब सात हजार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया जारी थी। इन
पदों के विज्ञापन जारी हो चुके थे और आवेदन मांगे जा चुके थे। बोर्ड भंग
होने से यह प्रक्रिया भी लटक गई है। बोर्ड के अध्यक्ष खजान सिंह सांगवान
थे। उनसे पहले नांदल बोर्ड के अध्यक्ष थे, जिनके कार्यकाल में हुई
नियुक्तियों पर हाईकोर्ट तक ने तल्ख टिप्पणियां की थी। अब सवाल यह है कि
राज्य सरकार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया का क्या रास्ता निकालने वाली है।
शिक्षकों के करीब 30 हजार पद रिक्त हैं।
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