हाई कोर्ट ने शिक्षकों की भर्ती पर तो रोक लगा ही रखी है, अब उसकी निगाह उन
शिक्षकों पर पड़ गई है जो वर्ष 2000 में भर्ती हुए थे। बृहस्पतिवार को
वर्ष 2000 में टीचरों की भर्ती को चुनौती देने वाली कई दर्जन याचिकाओं पर
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से जस्टिस के कन्नन को बताया
गया कि वर्ष 2000 में राज्य सरकार ने 3206 जेबीटी समेत कई अन्य टीचर के पद
विज्ञापित किए थे। सीबीआइ ने जांच में पाया था कि 3206 जेबीटी भर्ती में
पूर्ण रूप से धांधली हुई थी और इसी आधार पर दिल्ली की सीबीआइ कोर्ट ने दोषी
लोगों को सजा सुनाई थी। याचिकाकर्ता के वकील की दलील पर जस्टिस के कन्नन
ने हरियाणा सरकार से पूछा कि दिल्ली सीबीआइ कोर्ट के आदेश के बाद वह
कार्यरत 3206 जेबीटी टीचर के खिलाफ क्या कार्रवाई कर रही है। भर्ती में
धांधली साबित होने के बाद वह टीचरों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। अब
वह किस बात का इंतजार कर रही है। इस पर सरकार ने बताया कि उसके पास मामला
विचाराधीन है और जल्द ही निर्णय हो सकता है।
बहस के दौरान कुछ याचिकाकर्ता
ने वर्ष 2000 के दौरान हिंदी, संस्कृत व अन्य टीचर की भर्ती को भी रद करने
की मांग की।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि हिंदी, संस्कृत व अन्य टीचर की के
लिए विज्ञापन जेबीटी के साथ एक ही विज्ञापन में निकाला गया था। जिस सलेक्शन
बोर्ड ने जेबीटी की भर्ती की थी हिंदी, संस्कृत व अन्य टीचर की भर्ती भी
उसी बोर्ड ने की थी इसलिए जेबीटी के साथ इन टीचर की नियुक्ति भी रद होनी
चाहिये। 1सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस के कन्नन ने कहा कि जब सलेक्शन
करने वाले दोषी हैं तो भर्ती निष्पक्ष कैसे हो सकती है। कोर्ट ने सरकार को
इस मामले में कार्रवाई करने का आदेश देते हुए हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को
आदेश दिया कि इस विषय पर सभी केस एक साथ सूचीबद्ध किए जाएं। कोर्ट ने सरकार
को आदेश दिया कि वो सीबीआइ कोर्ट द्वारा दिए गए पीटीआइ केस के आदेश व
सीबीआइ जांच रिपोर्ट को मामले की सुनवाई पर कोर्ट में पेश करे।
No comments:
Post a Comment