Sunday, March 16, 2014

केवीएस स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को सप्ताह में पांच ही दिन जाना होगा स्कूल

केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को अब सप्ताह में सिर्फ पांच ही दिन स्कूल जाना होगा। नए सत्र के लिए सभी केंद्रीय विद्यालयों के प्रिंसिपलों को सकरुलर जारी कर दिया गया है, जिसमें पहली से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए पांच दिन ही स्कूल लगाने का निर्देश दिया गया है। प्राइमरी विंग के बच्चों को अब सप्ताह में पांच दिन ही स्कूल आना होगा, लेकिन शिक्षक छह दिन स्कूल आएंगे। फाइव डेज वीक कांस्पेट को लागू करने के पीछे आरटीई एक्ट 2009 के प्रावधानों को ध्यान में रखा गया है। इसको लेकर एक एक्सपर्ट कमेटी भी बनाई गई थी जिसके सुझावों पर यह फैसला लिया गया है। कमेटी की सिफारिशों के बाद केवीएस बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी है। नए नियम के मुताबिक छोटे बच्चों को सप्ताह में दो दिन ब्रेक मिलना चाहिए। इससे प्राथमिक कक्षाओं के लिए तरह-तरह की एक्टिविटीज और अध्यापकों को सीसीई स्कीम को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए और समय मिलेगा।
आरटीई एक्ट के अनुसार पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए 200 और छठी व आठवीं क्लास के विद्यार्थियों के लिए 220 वर्किग डेज होने चाहिए। केवीएस के एक्पर्ट कमेटी की गणना के अनुसार अगर फाइव डेज वीक होता है तो 207 वर्किग डेज होंगे।

Friday, March 7, 2014

हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने वाले 90 फीसद टीचर फर्जी

अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने में प्रदेश के 90 फीसद जेबीटी टीचरों ने बड़े-बड़े मुन्ना भाइयों को भी पीछे छोड़ दिया है। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) मधुबन की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि वर्ष 2011 में नियुक्ति पाने वाले जेबीटी टीचरों में सिर्फ 1093 ऐसे हैं, जिन्होंने पात्रता परीक्षा सही तरीके से पास की है।
शुक्रवार को हाई कोर्ट में मौलिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक डी सुरेश कुमार ने हलफनामा देकर बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर शिक्षा विभाग ने 2011 में जेबीटी टीचर नियुक्त हुए 8285 टीचरों द्वारा फर्जी तरीके से अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने की जांच शुरू की थी। विभाग ने सभी टीचरों के आवेदन फार्म व उत्तरपुस्तिका (ओएमआर सीट) पर अंगूठे के निशान की जांच की व इसकी एफएसएल जांच करवाई। एफएसएल जांच में जो रिपोर्ट आई वह चौंकाने वाली है। जांच में केवल 1093 टीचर ऐसे मिले जिनके अध्यापक पात्रता परीक्षा के आवेदन फार्म व उत्तर पुस्तिका पर अंगूठे के निशान एक जैसे मिले। बाकी 6800 टीचरों के अंगूठे के निशान नहीं मिल रहे हैं। इससे इन टीचरों का अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करना संदेह के दायरे में है।
हलफनामे के अनुसार एफएसएल जांच में पाया गया कि केवल 1093 शिक्षकों ने सही तरीके से परीक्षा पास की है, जबकि 751 टीचरों ने फर्जी तरीके से परीक्षा पास की है। रिपोर्ट के अनुसार 6049 टीचर परीक्षा पास करने में संदिग्ध पाए गए हैं। 390 टीचर ऐसे हैं जिन्होंने या तो नौकरी छोड़ दी है या भय की वजह से अपने अंगूठे की जांच नहीं करवाई या अन्य कारणों से वे जांच में नहीं आ पाए। 2 टीचर ऐसे हैं जिनका रिकार्ड नहीं मिल पाया।

भर्ती में बड़े स्तर पर हुई धांधली : हाई कोर्ट के जस्टिस एजी मसीह ने इस जांच रिपोर्ट को रिकार्ड पर रखते हुए सरकार को निर्देश दिया कि संदिग्ध 6049 की पूर्ण जांच कर अगली सुनवाई तक कोर्ट में पेश की जाए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील जसबीर मोर ने कोर्ट को कहा कि जांच में साफ हो गया है कि इस भर्ती में बड़े स्तर पर धांधली हुई है, लिहाजा इनकी भर्ती रद कर याचिकाकर्ता व प्रतीक्षा सूची में रहे उम्मीदवारों को नियुक्ति दी जाए। मोर ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में सरकार की तरफ से शुरू में कहा गया था कि दोषी टीचर्स के प्रमाण पत्र रद कर उनके खिलाफ पुलिस जांच कराई जाएगी।