Tuesday, September 10, 2013

हरियाणा टीचर भर्ती बोर्ड (HSTSB) पर फैसला आने में लग सकता है समय

हाई कोर्ट किसी केस पर फैसला सुरक्षित रखता है तो समय की कोई सीमा नहीं होती। कुछ मामलों में अगले दिन भी फैसला सुनाया जा सकता है तो कुछ में महीने भी लग सकते है। इस मामले में कोर्ट का फैसला टीचर भर्ती को एक नया मोड़ देगा। अगर याचिका खारिज कर दी जाती है तो पंद्रह हजार से ज्यादा टीचरों की भर्ती प्रकिया चलती रहेगी और उन्हें नियुक्ति मिलनी शुरू हो जाएगी। इसका सबसे ज्यादा असर गेस्ट टीचरों पर पड़ेगा क्योंकि इससे उनकी छुट्टी तय है। वहीं, अगर हाई कोर्ट याचिका को स्वीकार कर लेता है तो टीचर भर्ती बोर्ड रद हो जाएगा और इसके द्वारा की गई सभी नियुक्तियां गैरकानूनी मानी जाएंगी। इससे सरकार को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी। हालांकि दोनों ही पक्ष अपने खिलाफ फैसला आने पर सुप्रीम कोर्ट की शरण लेने की तैयारी में हैं।

हरियाणा टीचर भर्ती बोर्ड (HSTSB) पर हाई कोर्ट का फैसला सुरक्षित

हरियाणा टीचर भर्ती बोर्ड के गठन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत में विचाराधीन इस मामले के कारण प्रदेश में पंद्रह हजार से ज्यादा अध्यापकों की भर्ती प्रकिया पर रोक लगी हुई है। पंचकूला निवासी विजय बंसल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर टीचर भर्ती बोर्ड के गठन को गैरकानूनी करार देते हुए इसे रद कर टीचर भर्ती को हरियाणा लोक सेवा आयोग या हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड के माध्यम से कराने की मांग की है। चीफ जस्टिस संजय किशन कौल पर आधारित खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान बंसल के वकील ने कहा कि जब सरकार के पास हरियाणा लोक सेवा आयोग या हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन बोर्ड है तो टीचर भर्ती बोर्ड बनाने की क्या जरूरत है। वहीं एडवोकेट जनरल हवा सिंह हुडा ने कहा कि सरकार ने नियम 320 के तहत इस बोर्ड का गठन किया है जो सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। एजी के जवाब पर बंसल के वकील ने कहा कि सरकार ने जिस नियम का हवाला दिया है उसके तहत केवल किसी पोस्ट के लिए शैक्षिक योग्यता या अन्य शर्त तय की जा सकती है न की बोर्ड का गठन। सरकार कुछ पोस्ट को हरियाणा लोक सेवा आयोग के दायरे से निकालना भी चाहती है तो इसके लिए लोक सेवा आयोग से सलाह लेनी पड़ती है। लेकिन सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।